ओमिक्रॉन की डराती रफ्तार: देश में नए वैरिएंट के केस 200 पार; महाराष्ट्र और दिल्ली में सबसे ज्यादा 54 संक्रमित

ओमिक्रॉन की डराती रफ्तार: देश में नए वैरिएंट के केस 200 पार; महाराष्ट्र और दिल्ली में सबसे ज्यादा 54 संक्रमित

[ad_1]

  • Hindi News
  • National
  • Omicron Coronavirus India Update; 54 Omicron Variant Cases In Maharashtra And Delhi

नई दिल्ली21 मिनट पहले

देश में ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले 200 के पार हो गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं। दोनों राज्यों में ओमिक्रॉन के 54-54 मामले मिले हैं। इसमें खतरे की बात यह है कि देश में पहले 100 मामले 15 दिन में मिले थे, लेकिन 100 से 200 मामले होने में सिर्फ 5 दिन का समय लगा।

देश में ओमिक्रॉन के सबसे पहले दो मामले 2 दिसंबर को कर्नाटक में मिले थे। 14 दिसंबर को मामले बढ़कर 50 हुए। 17 दिसंबर को मामलों की संख्या 100 हुई। अगले 100 केस होने में सिर्फ 5 दिन लगे। देश के 13 राज्यों में ओमिक्रॉन के मामले सामने आए हैं। ओमिक्रॉन के बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी संक्रमण दर बहुत ज्यादा है। देश में ओमिक्रॉन के आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि इसके संक्रमण की रफ्तार बढ़ गई है।

अमेरिका में ओमिक्रॉन से पहली मौत दर्ज हुई
अमेरिका के टेक्सास में ओमिक्रॉन वैरिएंट से पहली मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस व्यक्ति ने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई थी। मृतक की उम्र 50-60 साल के बीच बताई जा रही है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, 11 दिसंबर को समाप्त हुए हफ्ते में नए कोरोना केस में 73.2% मामले ओमिक्रॉन के हैं। इससे पहले ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के चलते एक शख्स की मौत हो चुकी है।

नीति आयोग ने दी थी संक्रमण बढ़ने की चेतावनी
भारत में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि अगर हम ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के संक्रमण का पैमाना देखें और भारत की आबादी से उसकी तुलना करें तो कहा जा सकता है कि संक्रमण फैलने पर भारत में रोजाना 14 लाख केस आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हर केस की जीनोम सीक्वेंसिग नहीं की जा सकेगी।

हर सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग संभव नहीं
डॉ. पॉल ने कहा था कि दुनिया में दूसरे नंबर पर भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है और इसे लगातार बढ़ाया ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर केस की जीनोम सीक्वेंसिंग करना संभव नहीं होगा। यह बीमारी को पहचानने का नहीं, बल्कि महामारी का आंकलन और इसकी निगरानी करने का टूल है। हम इस बात का भरोसा दिला सकते हैं कि फिलहाल पर्याप्त सिस्टेमैटिक सैंपलिंग की जा रही है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *