इस बार पंजाब किसका?: कैप्टन, सिद्धू, सुखबीर और केजरीवाल के सामने खुद को साबित करने का चैलेंज; चुनौतियों से जूझती BJP; सियासी ‘हल’ चलाएंगे राजेवाल

इस बार पंजाब किसका?: कैप्टन, सिद्धू, सुखबीर और केजरीवाल के सामने खुद को साबित करने का चैलेंज; चुनौतियों से जूझती BJP; सियासी ‘हल’ चलाएंगे राजेवाल

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चंडीगढ़22 मिनट पहलेलेखक: मनीष शर्मा

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इस बार पंजाब किसका?: कैप्टन, सिद्धू, सुखबीर और केजरीवाल के सामने खुद को साबित करने का चैलेंज; चुनौतियों से जूझती BJP; सियासी ‘हल’ चलाएंगे राजेवाल

पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू, आप संयोजक दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और अकाली प्रधान सुखबीर बादल की साख दांव पर है। पंजाब के लिहाज से इस बार चुनाव में दिलचस्प स्थिति हो चुकी है क्योंकि इस बार 5 पार्टियों के बीच मुकाबला होगा। एक तरफ अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दांव ठोकने के लिए तैयार है तो दूसरी तरफ पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ मिलकर और किसान अकेले चुनाव मैदान में कूदने का ऐलान कर चुके हैं। किसानों की अगुवाई प्रमुख किसान नेता बलबीर राजेवाल कर रहे हैं। इस बार पंजाब के चुनाव मुकाबले पर सबकी नजर लगी हुई है कि आखिर इस 5 तरफा मुकाबले में पंजाब किसका होगा?।

कैप्टन अमरिंदर सिंह : कैप्टन पंजाब के 2 बार CM रह चुके हैं। सितंबर महीने में ही कांग्रेस ने अचानक उन्हें CM की कुर्सी से हटा दिया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और पंजाब लोक कांग्रेस बना चुनाव मैदान में हैं। इस बार वह भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में कैप्टन का सियासी कद और समझ भी दांव पर लगी है।

नवजोत सिद्धू : सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रधान हैं। कांग्रेस ने उन पर खुलकर दांव खेला है। उन्हें पंजाब कांग्रेस सौंप दी। फिर सिद्धू के बगावती तेवर देख कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटा दिया। सिद्धू की जिद के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा सीएम नहीं बन सके। इसके बाद चरणजीत चन्नी सीएम बने। सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। चन्नी के लगाए डीजीपी इकबालप्रीत सहोता और एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल के खिलाफ भी सिद्धू ने बगावत जारी रखी। सिद़्धू दोनों को हटाकर ही मानें। इसके बाद भी सिद्धू अपनी सरकार पर हमला बोलते रहे लेकिन कांग्रेस हाईकमान उन्हें ट्रंप कार्ड मानकर भरोसा जताता रहा है।

सुखबीर बादल : पंजाब में पहली बार अकाली दल सुखबीर बादल की अगुवाई में चुनाव लड़ रहा है। अभी तक पंजाब के 5 बार सीएम रह चुके प्रकाश सिंह बादल की अगुवाई में चुनाव लड़े जाते रहे हैं। इस बार वह सक्रिय सियासत से दूर हैं। ऐसे में सुखबीर बादल पर पूरा दारोमदार है। सुखबीर ने ही किसान आंदोलन के चलते भाजपा से गठजोड़ तोड़ दिया था। इसके बाद बसपा से गठबंधन कर लिया। सुखबीर अकाली दल को सत्ता तक पहुंचा पाते हैं या नहीं, यह उनके लिए बड़ी चुनौती रहेगी।

अरविंद केजरीवाल: पंजाब में आम आदमी पार्टी दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के नाम पर चुनाव लड़ रही है। पूरे पंजाब में ‘इक मौका केजरीवाल नूं’ के पोस्टर लगाकर प्रचार किया जा रहा है। केजरीवाल ने कहा जरूर कि पंजाब में CM चेहरा सिख समाज से होगा लेकिन नाम घोषित नहीं किया। ऐसे में चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार-जीत का सेहरा केजरीवाल के सिर पर ही होगा।

बलबीर राजेवाल : पंजाब के कद्दावर किसान नेता बलबीर राजेवाल पहली बार चुनाव मैदान में हैं। उनकी अगुवाई में पंजाब के 22 किसान संगठन चुनाव लड़ रहे हैं। इसके लिए वह संयुक्त किसान मोर्चा से बगावत तक कर चुके हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या वह किसानों को सत्ता तक पहुंचकर संगठन की तरह अपना राजनीतिक समझ का लोहा मनवा पाएंगे?। केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के दौरान राजेवाल बड़ा चेहरा थे। वह किसानों की उस हाईपावर कमेटी के मेंबर भी थे, जिसने आंदोलन खत्म करने में केंद्र सरकार के साथ बात की थी।

भाजपा : पंजाब में भाजपा के लिए ज्यादा चुनौतियां हैं। पहली बार भाजपा को अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का विरोध है। यहां तक कि चुनाव रैली के लिए कुछ किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला तक रोक दिया। इस बार भाजपा को कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ जरूर मिला है लेकिन हालात ज्यादा अच्छे नहीं है।

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