डॉ.देवेंद्र बल्हारा केस में कौन कौन जा सकता है जेल ? क़ानून जान लें || Badhey Chalo News

डॉ.देवेंद्र बल्हारा केस में कौन कौन जा सकता है जेल ? क़ानून जान लें || Badhey Chalo News

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डॉ.देवेंदर बल्हारा केस में कौन कौन जासकता है जेल
कानून को समझ ले

आर्टिकल 14 के अनुसार
कानून के आगे सब सामान, कानून की प्रक्रिया सबके लिए सामान
equality before law and equal protection of law.

डॉ.देवेंदर बल्हारा को किया गया है अरेस्ट और कारण बनाया है सेक्शन 353 अर्थात सरकारी अधिकारी के काम बाधा डालना,
लेकिन मानवाधिकार कहता है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है यदि सरकार नहीं सुनती तो धरना भी दिया जासकता है बशर्ते धरने से आम आदमी को नुकसान नहीं होना चाहिए।

डॉ.देवेंदर बल्हारा केस में चंडीगढ़ पुलिस में डॉ बलरा को अरेस्ट किया है अरेस्ट करते समय उन्हें नहीं बताया कि क्यों अरेस्ट कर रहे है, और न ही डॉ. बलारा के सम्बन्धियों को इन्फॉर्म किया, जो कि अपने आप में कानूनन जुर्म है
अरेस्ट करते समय वीडियो एविडेन्स कहते है कि डॉ बल्हारा को एक्जक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने खुद बुलाया था। न कि डॉ बल्हारा ने उन्हें कोई लौ फुल काम करते हुए रोका, कानून यह है यदि कोई अधिकारी लॉफुल काम कर रहा है और उसके काम में कोई बाधा डालता है तो उस पर सेक्शन 353 लगाकर उसे अरेस्ट किया जा सकता है लेकिन माक्स लगवाना लॉ के अंदर नहीं आता क्यूँकि मास्क लगवाने को सरकार से जरूरी नहीं किया, न ही ऐसा कोई कानून बनाया है।
अब अगर यह साबित हो जाता है कि डॉ बल्हारा को जो उन पर धारा बनती नहीं उसमें उन्हें, अरेस्ट किया है तो उन अधिकारीयों पर भी कार्यवाही हो सकती है,

घटना स्थल से आये वीडियोज के अनुसार मसला ये था कि एक्जक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने उन्हें बुलाकर पूछा कि मास्क क्यों नहीं लगाया ऐसे में डॉ. बल्हारा उन्हें बताया की मुझे मास्क लगाने से समस्या होती है और कानूनन मास्क लगाना जरूरी भी नहीं है। लेकिन अधिकारीयों को पता है मास्क के लिए अरेस्ट नहीं किया जासकता तो, उन्हें 353 का चार्ज लगा कर अंदर डाल दिया, अफसर है पावर है अंदर डाल सकते है लेकिन क्या ये अफसर सविधान से ऊपर हो गये हैं,क्या इन्हे कानून का डर नहीं है अगर कानून को चलाने की गाड़ी इनके हाथ में है तो क्या इन्हे अधिकार है इस गाड़ी से किसी को भी रोंदने का।
अब देखते है कानून किसका साथ देता है अफसर का, या खुद कानून का, क्योकि कानून के अनुसार कानून सब के लिए बराबर होता है। जो कानून का उलघन करेगा उसे सजा होगी।

अगर ड्रॉ बल्हारा गलत है तो उन्हें तो ये अधिकारी अपने अनुसार सजा दे चुके है लेकिन अभी कानून क्या कहता है ये भी देख लेते हैं
अगर ये अफसर झूठे साबित होते तो IPC 211 के तहत नौकरी जाने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान है और जो केस बनता नहीं है उस केस में अरेस्ट करने के जुर्म IPC 220 के तहत सभी मौजूदा अफसरों को 7 साल तक की सजा का प्रावधान है इसके अलावा IPC का सेक्सन 218 भी लगेगा जिसका मतलग है खुद को बचाने के लिए झूठे रिकॉर्ड तैयार करना है
इसके अलावा भी कई और सेक्शन लगते है जैसे 192,193,
अब अरेस्ट करने के बारे में थोड़ा जानकारी लेते हैं
सुप्रीम कोर्ट कीअर्नेश क़ुमार की गॉइडलाइन के अनुसार जिन केस में 7 साल तक की सजा होती है उसमे उस व्यक्ति को अरेस्ट न करके नोटिस देकर छोड़कर इन्कआरी करने का प्रावधान है जो हर थाने में नोटिस बोर्ड पर भी लगा रहता है और यह नोटिस थाने में न लगाने पर थाने के इंचार्ज पर सजा का प्रावधान है।
अगर डॉ बल्हारा ने ऐसा कोई जुर्म कर भी दिया है तो भी अर्नेश कुमार की गाइडलाइन का उलंघन हो गया है जिसे कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट कहेगे जो इन अधिकारीयों ने शायद कर भी दिया है।
अगर कंसर्न ओफीसर को लगता है डॉ.बल्हारा कही कोई कानून का उलंघन कर रहे है तो भी उन ओफीसर को उन्हें अरेस्ट करने की जरूरत नहीं थी उन्हें नोटिस देकर थाने बुलाया जासकता था।
चलो अरेस्ट कर भी रहे है तो डी के बासु की गाइडलाइन के अनुसार वहाँ पांचनामा होना चाहिए था पंचनामे के अनुसार अरेस्ट करते समय उस छेत्र के कोई भी दो रेस्पक्टॅबले व्यक्ति के पंचनामे पर एज अ विटनेस सिगनेचर कराने चाहिए थे । दूसरा जिसे अरेस्ट किया जा रहा है उसे किस सेक्सन में अरेस्ट किया जा रहा है उसका नोटिस देकर सिग्नेचर करवाने चाहिए थे। ये आता है सेक्शन 50 CRPC में, अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इसमें कंसर्न अधिकारी पर कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट लगेगा, साथ ही कम्पनसेशन भी देना पड़ेगा जो सुप्रीम कोर्ट का लौ है कम्पंसेशन लिए बहुत से केस के जजमेंट है जिसमे से लेटेस्ट है 2018 लम्बी नरायान का जिसमे इल्लीगल अरेस्ट के लिए 50 लाख का शुरूआती कम्पंसेशन मिल चुका है। और ऐसे कई और सारे जजमेंट्स भी है

इस खबर के द्वारा हमरा या समझने का मकसद है कि हम सब को कानून की जानकारी होनी चाहिए साथ, कानून के रक्छक जब, कानून के भकच्छक बने तो उन्हें में कानून के दायरे में लाने वाले लोग होने चाहिए
अब क्या सही है क्या गलत उसका फैसला कानून ही करेगा
उम्मीद है आपको यह जानकारी भरी खबर पसंद आई होगी ऐसी ही खबरों ओ के लिए देखते रहे बढ़े चलो न्यूज़
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यहाँ पर खबरें तो सिर्फ बहाना है
मकसद तो लोगों को जागरूक बनाना है

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